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Hathras में क्या हुआ? कौन है भोले बाबा और कैसे हुई भगदड़ जिसमे 123 जाने गयीं

उत्तर प्रदेश पुलिस ने बुधवार को Hathras में धार्मिक सभा के आयोजकों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की…

Hathras भगदड़ मामला 

उत्तर प्रदेश के Hathras जिले में भोले बाबा के सत्संग में मची भगदड़ में 123 लोगों की मौत के एक दिन बाद, उत्तर प्रदेश पुलिस बुधवार को अपनी एफआईआर में प्रवचनकर्ता का नाम दर्ज करने में विफल रही। मंगलवार की घटना के बाद से, प्रवचनकर्ता ने अपना नाम गुप्त रखा है, पुलिस का कहना है कि वह मैनपुरी में स्थित अपने विशाल आश्रम में नहीं आया है।

भोले बाबा को बाबा नारायण हरि और साकार विश्व हरि भोले बाबा के नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने दो दशक पहले पुलिस विभाग छोड़ दिया और धार्मिक उपदेशक बन गए। वे कई आश्रमों की अध्यक्षता करते हैं। उनमें से सबसे बड़ा आश्रम मैनपुरी में उनका आश्रम है।

पुलिस ने बुधवार को उनके मैनपुरी आश्रम के आसपास सुरक्षा बढ़ा दी। हालांकि, उन्होंने दावा किया कि स्वयंभू बाबा परिसर के अंदर नहीं थे।

भोले बाबा के पैरों की धुल लेने में हुई भगदड़

भोले बाबा ने अपने उपदेशों में खुद को भगवान के बराबर बताया। पीटीआई के अनुसार, अपने उपदेशों के एक वीडियो में वे कहते हैं, “मैं मंदिर, गुरुद्वारा, मस्जिद और चर्च जाता हूं। मुझे जहां से बुलाया जाता है, मैं वहां जाता हूं। और अगर मुझे नहीं बुलाया जाता, तो मैं नहीं जाता।”

प्रारंभिक रिपोर्ट के अनुसार Hathras में धार्मिक सत्संग में भगदड़ तब मची जब धर्मगुरु के सुरक्षाकर्मियों ने उनके अनुयायियों को धक्का दिया, क्योंकि वे उनके पैरों के आसपास की मिट्टी इकट्ठा करने की कोशिश कर रहे थे। फिसलन भरी ढलान ने स्थिति को और बिगाड़ दिया।

प्राधिकारियों ने उनकी दो आगामी सभाएं रद्द कर दी हैं। वह कासगंज जिले के बहादुरनगर गांव के मूल निवासी हैं। उनकी उम्र 60 साल है और उनके कोई बच्चे नहीं हैं। ग्रामीणों का दावा है कि बाबा ने कभी दान नहीं मांगा। उनके आश्रम स्वैच्छिक दान से बनाए गए थे।

80,000 अनुयायियों के लिए अनुमति, 2.5 अनुयायी पहुंचे

उत्तर प्रदेश पुलिस ने बुधवार को Hathras में धार्मिक समागम के आयोजकों के खिलाफ सबूत छिपाने का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज की। एफआईआर के अनुसार, आयोजकों ने 80,000 अनुयायियों के लिए अनुमति ली थी, लेकिन 2.5 लाख लोग वहां पहुंचे।

उत्तर प्रदेश पुलिस देवप्रकाश मधुकर और अन्य आयोजकों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। शिकायतकर्ता ने दावा किया कि सत्संग के कारण जीटी रोड पर यातायात जाम हो गया।

मंगलवार को दोपहर 2 बजे भोले बाबा कार्यक्रम स्थल पर आए। उनके अनुयायी उनके पैरों से मिट्टी लेने के लिए झुके। मौके से भागने वालों को बाबा के लाठीधारी सहायकों ने रोक दिया।

उनके वकील एपी सिंह ने कहा कि भगदड़ कुछ असामाजिक तत्वों की साजिश की वजह से हुई। उन्होंने कहा, “कुछ असामाजिक तत्वों ने साजिश रची। जब नारायण साकर हरि कार्यक्रम स्थल से चले गए, तो उनकी गाड़ियां चली गईं और साजिश की वजह से हमारे स्वयंसेवक और अनुयायी यह समझ ही नहीं पाए कि क्या हो रहा है। यह सब एक योजना के तहत किया गया और इसकी जांच होनी चाहिए।”

उन्होंने कहा कि धर्मगुरु ने अपने अनुयायियों को कभी अपने पैर छूने की अनुमति नहीं दी। उन्होंने इस दावे का भी खंडन किया कि लोग उनके पैरों के आस-पास से कीचड़ इकट्ठा करने के लिए हाथापाई कर रहे थे।

Hathras में हुए भगदड़ के दो दिन बाद 123 लोगों की मौत

उत्तर प्रदेश के Hathras में धार्मिक सभा में मची भगदड़ में 123 लोगों की मौत के दो दिन बाद भी पुलिस ने अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं की है। सत्संग को संबोधित करने वाले स्वयंभू संत नारायण साकर हरि अभी भी अज्ञात स्थान पर हैं, लेकिन उनके वकील ने कहा है कि वे जांच में सहयोग करेंगे।

उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि जांच रिपोर्ट जल्द ही आने की उम्मीद है और जो भी दोषी होगा उसे बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने कहा, “हम सख्त कार्रवाई करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”

उपमुख्यमंत्री ने बताया कि अब तक 118 शवों का पोस्टमार्टम हो चुका है और पांच की पहचान होनी बाकी है। उन्होंने कहा, “हमने पोस्टमार्टम के बाद शवों को उनके परिजनों को भेज दिया है। बीस घायलों का इलाज यहां के अस्पतालों में चल रहा है।”

यह पूछे जाने पर कि एफआईआर में नारायण साकर हरि जिन्हें ‘भोले बाबा’ के नाम से भी जाना जाता है, उनका उल्लेख क्यों नहीं है| इस पर उन्होंने कहा कि रिपोर्ट आने दीजिए, किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा, चाहे वे कितने भी ऊंचे रसूख वाले क्यों न हों। भगदड़ के कारणों के बारे में पूछे जाने पर उपमुख्यमंत्री ने कहा, “रिपोर्ट आने के बाद ही हम कुछ बता पाएंगे।”

मंगलवार दोपहर को Hathras में हुवे भगदड़ की शुरुआत धूल के लिए पागलों की भीड़ से हुई थी। एफआईआर के अनुसार, Hathras में हुए सत्संग में करीब 2.5 लाख लोग आए थे लेकिन पुलिस से 80,000 लोगों के जमावड़े की अनुमति मांगी गयी थी।

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