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Sharjeel Imam: 2020 के दिल्ली दंगा मामले में दिल्ली हाईकोर्ट से जमानत मिली

दिल्ली पुलिस के अनुसार, Sharjeel Imam ने जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में आयोजित कार्यक्रमों में विभाजनकारी भाषण दिए थे 

Sharjeel Imam को मिली जमानत

भड़काऊ भाषण देने के आरोप में गिरफ्तार किए गए कार्यकर्ता Sharjeel Imam को आज दिल्ली उच्च न्यायालय ने जमानत दे दी। शरजील इमाम ने निचली अदालत के उस आदेश को चुनौती दी थी जिसमें उसे जमानत देने से इनकार कर दिया गया था। उन्होंने दलील दी थी कि अगर उसे इस मामले में दोषी ठहराया जाता है तो उसे दी जाने वाली अधिकतम सजा का आधा से अधिक हिस्सा वह पहले ही काट चुका है।

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के एक शोध छात्र Sharjeel Imam को जनवरी 2020 में पूर्वोत्तर को शेष भारत से अलग करने के कथित आह्वान के लिए देशद्रोह का मामला दर्ज किए जाने के बाद गिरफ्तार किया गया था। नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान यह टिप्पणी की गई थी। कार्यकर्ता के खिलाफ दिल्ली, असम, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश और उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों में भी मामले दर्ज किए गए थे।

दिल्ली पुलिस के अनुसार, Sharjeel Imam ने जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में आयोजित कार्यक्रमों में विभाजनकारी भाषण दिए। वह कथित तौर पर नए नागरिकता कानून के खिलाफ दिल्ली के शाहीन बाग में विरोध प्रदर्शन के आयोजकों में से एक था।

Sharjeel Imam अभी भी रहेगा जेल में

न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति मनोज जैन की उच्च न्यायालय की पीठ के समक्ष दलील देते हुए अभियोजन पक्ष ने कहा कि Sharjeel Imam ने अपने भाषणों में कथित तौर पर पूर्वोत्तर को देश से अलग करने की धमकी दी थी। इमाम पर देशद्रोह से संबंधित आईपीसी की धारा के तहत आरोप लगाया गया था, और गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम की धारा 13 भी लगाई गई थी।

जमानत मांगते हुए कार्यकर्ता ने अदालत से कहा कि UAPA की धारा 13 के तहत अधिकतम सजा सात साल है और वह पहले ही चार साल से अधिक समय से हिरासत में है। एक ट्रायल कोर्ट ने पहले उसे जमानत देने से इनकार कर दिया था, यह देखते हुए कि किसी आरोपी की हिरासत “असाधारण परिस्थितियों” में बढ़ाई जा सकती है।

Sharjeel Imam उत्तर-पूर्वी दिल्ली में 2020 के दंगों से जुड़े कई मामलों में भी आरोपी है। हालाँकि, शर्जील इमाम अभी जेल में ही रहेगा क्योंकि वह 2020 के दिल्ली दंगों से संबंधित साजिश के मामले में भी आरोपी है।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को JNU के छात्र Sharjeel Imam को 2020 के सांप्रदायिक दंगों के एक मामले में देशद्रोह और गैरकानूनी गतिविधियों के आरोपों से संबंधित जमानत दे दी।  Sharjeel Imam ने निचली अदालत के उस आदेश की आलोचना की है जिसमें उसे जमानत देने से इनकार कर दिया गया है, जबकि वह दोषसिद्धि के मामले में दी जाने वाली अधिकतम सजा की आधी से अधिक अवधि काट चुका है।

न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति मनोज जैन की पीठ ने Sharjeel Imam और दिल्ली पुलिस के वकील की दलीलें सुनने के बाद कहा, “अपील स्वीकार की जाती है।”

Sharjeel Imam के खिलाफ मामला

अभियोजन पक्ष के अनुसार, Sharjeel Imam ने कथित तौर पर 13 दिसंबर, 2019 को जामिया मिलिया इस्लामिया में और 16 दिसंबर, 2019 को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में भाषण दिए, जहां उसने असम और बाकि  पूर्वोत्तर  राज्यों को भारत से काटने की धमकी दी।

दिल्ली पुलिस की विशेष शाखा द्वारा दर्ज मामले में शर्जील इमाम पर मामला दर्ज किया गया था, जिसे शुरू में देशद्रोह के अपराध के लिए दर्ज किया गया था और बाद में UAPA की धारा 13 लगाई गई थी। वह इस मामले में वह 28 जनवरी, 2020 से हिरासत में है।

Sharjeel Imam का तर्क

शरजील इमाम ने ट्रायल कोर्ट के समक्ष दावा किया था कि वह पिछले चार वर्षों से हिरासत में है और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम की धारा 13 (गैरकानूनी गतिविधियों के लिए सजा) के तहत अपराध के लिए अधिकतम सजा 7 साल है, अगर दोषी ठहराया जाता है।

धारा 436-ए सीआरपीसी के अनुसार, किसी व्यक्ति को हिरासत से रिहा किया जा सकता है यदि उसने अपराध के लिए निर्धारित अधिकतम सजा की आधी से अधिक अवधि बिता ली हो।

निचली अदालत ने अभियोजन पक्ष का मामला सुनने के बाद 17 फरवरी को उसे जमानत देने से इनकार करते हुए फैसला सुनाया था कि “असाधारण परिस्थितियों” में आरोपी की हिरासत को आगे की अवधि के लिए बढ़ाया जा सकता है।
Sharjeel Imam 2020 के सांप्रदायिक दंगों से जुड़े कई मामलों में आरोपी है, जिसमें दंगे के पीछे साजिश का मामला भी शामिल है। वह साजिश के ही मामले में अभी न्यायिक हिरासत में है।

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