Arvind Kejriwal: चुनावों के कारण सुप्रीम कोर्ट अंतरिम जमानत देने पर विचार कर सकती है, 7 मई को होगी सुनवाई

आज सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री Arvind Kejriwal की अंतरिम जमानत पर अभी फैसला लेना बाकी है। साथ ही यह भी कहा कि वह इस मामले पर 7 मई को वो दोबारा सुनवाई करेगी|

Arvind Kejriwal

Arvind Kejriwal: दलीले सुनने पर विचार करेगा सुप्रीम कोर्ट

Arvind Kejriwal के मामले में सुप्रीम ने शुक्रवार को कहा कि वह आगामी चुनावों के कारण दिल्ली के मुख्यमंत्री Arvind Kejriwal की अंतरिम जमानत पर दलीलें सुनने पर विचार कर सकता है। मामले में 21 मार्च को गिरफ्तारी के बाद केजरीवाल फिलहाल न्यायिक हिरासत के तहत तिहाड़ जेल में बंद हैं। शीर्ष अदालत ने 15 अप्रैल को प्रवर्तन निदेशालय को नोटिस जारी करके Arvind Kejriwal की याचिका पर उससे जवाब मांगा।

9 अप्रैल 2024 को न्यायालय ने Arvind Kejriwal की गिरफ्तारी को बरकरार रखते हुए ये कहा था कि इसमें कोई अवैधता नहीं थी और प्रवर्तन निदेशालय की तरफ से बार-बार समन जारी करने और जांच में शामिल होने से इनकार करने के Arvind Kejriwal के रवैये के बाद ED के पास थोड़ा विकल्प बचा था, जिसका उसने प्रयोग किया। यह मामला 2021-22 के लिए दिल्ली सरकार की अब समाप्त हो चुकी शराब उत्पाद शुल्क नीति के निर्माण और कार्यान्वयन में कथित भ्रष्टाचार से संबंधित है।

अंतरिम जमानत देने पर फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को संकेत दिया कि वह जेल में बंद दिल्ली के मुख्यमंत्री Arvind Kejriwal  को अंतरिम जमानत देने का फैसला कर सकता है, हालांकि उसने स्पष्ट किया कि उसने अभी तक इस मामले पर फैसला नहीं किया है। अदालत ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से निर्देश लेने को कहा कि क्या अंतरिम जमानत दी जा सकती है और उस पर क्या शर्तें लगाई जा सकती हैं।

न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ की मौखिक टिप्पणियाँ केजरीवाल द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के अंत में आईं, जिसमें ईडी द्वारा उनकी गिरफ्तारी को चुनौती दी गई थी।

सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि, “इस मामले की सुनवाई में समय लग सकता है। हालाँकि अगर मामले में ज्यादा समय लगता है, तो हम चुनाव को मद्देनज़र रखते हुवे, हम Arvind Kejriwal के अंतरिम जमानत के सवाल पर विचार कर सकते हैं।”

सुप्रीम कोर्ट ने ED से पूछा

उसके बाद पीठ ने ईडी की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू से पूछा “हम अगले सप्ताह मंगलवार यानि 7 मई को आपकी बात सुनेंगे और चुनाव के कारण Arvind Kejriwal को अंतरिम जमानत देने के मुद्दे पर विचार करेंगे। इस पहलू पर आप प्रवर्तन निदेशालय से उचित निर्देश लें और क्या शर्तें लगाने की जरूरत है। हम आपसे यह सब सिर्फ इसलिए पूछ रहे हैं आपको आश्चर्यचकित होने की जरूरत नहीं है,” । इसके बाद पीठ ने मामले की अगली सुनवाई 7 मई को तय की।

न्यायमूर्ति खन्ना ने एसवी राजू से इस पहलू पर भी जवाब देने को कहा कि “क्या केजरीवाल अब भी अपनी आधिकारिक फाइलों पर हस्ताक्षर कर सकते हैं”। और साथ ये भी कहा, “खुली अदालत के साथ यही समस्या है।” उन्होंने कहा कि अदालत यह नहीं कह रही है कि वह जमानत देगी या नहीं देगी।

न्यायमूर्ति खन्ना ने दोनों पक्षों से कहा, “हम किसी भी तरह से नहीं कह रहे हैं। हम इसके बारे में खुले हैं। कुछ भी न मानें।”

Arvind Kejriwal को दिल्ली उत्पाद शुल्क नीति मामले में 21 मार्च को गिरफ्तार किया गया था

सुनवाई के दौरान पीठ ने ईडी से पूछा और कहा, “आपने धारा 70 लागू की है। इसलिए, आपके अनुसार, मुख्य आरोपी AAP है। एक अपराध के लिए दो मुख्य आरोपी नहीं हो सकते। उन पर सीबीआई द्वारा मुकदमा नहीं चलाया जाता है।” जांच चल रही थी लेकिन Arvind Kejriwal पर आरोपपत्र दायर नहीं किया गया है।”

राजू ने स्पष्ट किया, “न्याय निर्णय की आवश्यकता नहीं है।”

इस पर जस्टिस खन्ना ने फिर पूछा, “अगर आप मुख्य आरोपी है, आज तक आप के खिलाफ न्यायनिर्णयन की कार्यवाही शुरू नहीं हुई है तो क्या आप केजरीवाल को गिरफ्तार कर सकते हैं?”

एएसजी राजू ने जवाब दिया, “बिना निर्णय के जब्ती हो सकती है और यही अधिनियम की योजना है।”

परोक्ष देनदारी के कारण गिरफ्तार नहीं किया जा सकता

Arvind Kejriwal की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने दलील दी, “मेरे मामले में सभी सह-अभियुक्तों ने पहले कुछ नहीं कहा। फिर उन्होंने अचानक कुछ कहा। किसी राजनीतिक दल द्वारा किए गए किसी भी काम के लिए उसके संयोजक, कोषाध्यक्ष आदि को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता।”

सिंघवी ने कहा, प्रवर्तन निदेशालय जो भी आरोप लगा रहा है, उस आरोप में Arvind Kejriwal को सिवाय इसके कि वह AAP के संयोजक हैं, इसके अलावा उनको इस मामले से क्या जोड़ता है। साथ ही सिंघवी ने पीठ से कहा, मान लीजिए कि कोई एक कंपनी कोई गड़बड़ करती है। तो क्या आप कंपनी के मामलो के लिए उसके MD को गिरफ्तार किया जा सकता है?

इस पर सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि “किसी संगठन का प्रतिनियुक्त दायित्व कैसे काम करता है, संगठन के प्रत्येक प्रभारी और जिम्मेदार व्यक्ति पर मुकदमा चलाया जा सकता है। क्या यह मानने का कोई कारण है कि उसे PMLA की धारा 70 के तहत गिरफ्तार किया जा रहा है?”

सिंघवी ने जवाब दिया, ‘केवल किसी कंपनी का जिक्र करने से उसके एमडी की गिरफ्तारी नहीं हो सकती।’

न्यायमूर्ति खन्ना ने तब कहा, “कंपनी के समग्र प्रभारी कोई भी व्यक्ति, आप कंपनी के प्रति परोक्ष रूप से उत्तरदायी हैं और फिर आपको यह दिखाना होगा कि यह आपकी जानकारी के बिना किया गया था।”

इस पर प्रतिक्रिया देते हुए सिंघवी ने कहा, “आप राजनीतिक दलों पर विचार नहीं कर रहे थे, व्यापारिक संस्थाओं पर विचार किया गया था. यह एक व्यापारिक स्वाद है. लोगों का संगठन इससे रंग लेगा.”

न्यायमूर्ति खन्ना ने तब कहा, “एक समाज लोगों के एक संघ द्वारा कवर किया जाएगा।”

इसके बाद सिंघवी ने ईडी के जवाब का हवाला देते हुए कहा, “ईडी कह रही है कि वह भी रिश्वत की मांग में शामिल है। इसका कोई प्रत्यक्ष प्रमाण नहीं है। साथ ही, यह भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम का अपराध है, न कि मनी लॉन्ड्रिंग।”

 अंत में सुनवाई बेनतीजा रही और आगे किन सुनवाई 7 मई को भी जारी होगी|

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